🌟 बक़रा ईद क़ुरबानी का त्योहार है, और क़ुरबानी के अहकाम और दरूद शरीफ़ की दुआ इसे और पवित्र बनाते हैं। यह लेख आपको क़ुरबानी के नियम और दरूद शरीफ़ के बारे में बताएगा। 🕋
क़ुरबानी के अहकाम
क़ुरबानी का तरीक़ा
क़ुरबानी ज़िल हज्ज के 10वें, 11वें, या 12वें दिन की जाती है।
- जानवर का चयन 🐐: सेहतमंद बक़रा, भेड़, या ऊँट चुनें।
- निय्यत 🙏: “मैं क़ुरबानी अल्लाह के लिए अदा करता हूँ।”
- ज़िबह 🗡️: “बिस्मिल्लाही अल्लाहु अकबर” कहकर ज़िबह करें।
- तक़सीम 🍖: गोश्त को तीन हिस्सों में बाँटें।
अहकाम का पालन
क़ुरबानी वाजिब है और क़िबला की तरफ़ मुँह करके करें।
दरूद शरीफ़ की दुआ
दरूद शरीफ़ की अहमियत
दरूद शरीफ़ क़ुरबानी का सवाब बढ़ाता है। यह है एक दरूद:
“अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मद…”
कैसे पढ़ें और फ़ायदा
- कैसे पढ़ें? 📿: ज़िबह से पहले या बाद में 3 या 11 बार दरूद पढ़ें।
- फ़ायदा 🌟: दरूद से क़ुरबानी का सवाब दुगना होता है।
- हदीस 📚: “दरूद पढ़ने वाला मेरी शफ़ाअत का हक़दार है।” (तिर्मिज़ी)
क़ुरबानी और दरूद शरीफ़: एक नज़र
स्टेप | क्या करें? | दरूद शरीफ़ का रोल |
---|---|---|
निय्यत | क़ुरबानी की निय्यत | दरूद से इख़लास बढ़ता है 🙏 |
ज़िबह | बिस्मिल्लाह पढ़ना | दरूद से बरकत मिलती है 🕊️ |
तक़सीम | गोश्त बाँटना | दरूद से सवाब बढ़ता है 🌟 |
सुन्नत | सुन्नतों का पालन | दरूद से इबादत पूरी होती है 📿 |
निष्कर्ष : बक़रा ईद की क़ुरबानी के अहकाम
बक़रा ईद की क़ुरबानी के अहकाम और दरूद शरीफ़ की दुआ इबादत को रौशन करते हैं। इस ईद, क़ुरबानी के नियम सीखें और दरूद शरीफ़ के साथ सवाब बढ़ाएँ! 🕌