✨ बक़रा ईद के दिन का रोज़ा और दरूद शरीफ़ का तरीक़ा ✨

🌟 बक़रा ईद के दिन रोज़ा रखना मना है, लेकिन ज़िल हज्ज के पहले 9 दिन रोज़े रखना सुन्नत है। रोज़ों का तरीक़ा और दरूद शरीफ़ का ज़िक्र इबादत को बरकत देता है। यह लेख आपको रोज़ों का तरीक़ा और दरूद शरीफ़ के बारे में बताएगा। 🕋

H2: बक़रा ईद के दिन का रोज़ा

H3: रोज़ों का तरीक़ा

ज़िल हज्ज के पहले 9 दिन, ख़ासकर यौम-ए-अरफ़ा (9वां दिन), रोज़ा रखें।

  • निय्यत 🙏: रात में निय्यत करें: “मैं ज़िल हज्ज का रोज़ा रखता हूँ।”
  • सेहरी 🍽️: फ़ज्र से पहले सेहरी करें।
  • इफ़्तार 🌙: मग़रिब की अज़ान के बाद इफ़्तार करें।

H4: रोज़ों की फ़ज़ीलत

यौम-ए-अरफ़ा का रोज़ा दो साल के गुनाह माफ़ करता है। (सहीह मुस्लिम)

H2: दरूद शरीफ़ का तरीक़ा

H3: दरूद शरीफ़ की अहमियत

दरूद शरीफ़ रोज़ों का सवाब बढ़ाता है।

“अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मद…”

H4: कैसे पढ़ें और फ़ायदा

  • कैसे पढ़ें? 📿: सेहरी और इफ़्तार के बाद 3 या 11 बार दरूद पढ़ें।
  • फ़ायदा 🌟: दरूद से सवाब बढ़ता है।
  • हदीस 📚: “दरूद से दुआ क़बूल होती है।” (तिर्मिज़ी)

H2: रोज़ा और दरूद शरीफ़: एक नज़र

स्टेपक्या करें?दरूद शरीफ़ का रोल
निय्यतरोज़े की निय्यतदरूद से इख़लास बढ़ता है 🙏
सेहरीसेहरी करनादरूद से बरकत मिलती है 🕊️
इफ़्तारइफ़्तार करनादरूद से सवाब बढ़ता है 🌟
दुआइफ़्तार की दुआदरूद से इबादत पूरी होती है 📿

H2: निष्कर्ष : बक़रा ईद के दिन का रोज़ा

बक़रा ईद के लिए रोज़े और दरूद शरीफ़ का तरीक़ा इबादत को रौशन करता है। इस ईद, रोज़ों का तरीक़ा सीखें और दरूद शरीफ़ के साथ सवाब बढ़ाएँ! 🕌

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