🏘️ बाज़ार से वापस आने का दरूद शरीफ़

🌟 क्या आपको बाज़ार से वापस आने के बाद घर पहुंचने की राहत नहीं मिलती?
वो 🛍️ शॉपिंग की थकावट के बाद का सुकून, जब आप अपने घर की चौखट लांघते हैं… लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इस लम्हे को और बरकत वाला कैसे बनाया जाए❓
चलिये जानते हैं एक खास दरूद शरीफ़ के बारे में जो बाज़ार से वापसी के वक़्त पढ़ा जा सकता है। 🌙


🕋 Arabic (अरबी):

arabicCopyEditاَللّٰهُمَّ إِنِّيْ أَسْأَلُكَ خَيْرَ الْمَوْلِجِ وَخَيْرَ الْمَخْرَجِ 
بِسْمِ اللّٰهِ وَلَجْنَا وَبِسْمِ اللّٰهِ خَرَجْنَا وَعَلَى اللّٰهِ رَبِّنَا تَوَكَّلْنَا

🗣️ Hindi (हिंदी उच्चारण):

अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका ख़ैरल मौलिज़ि व ख़ैरल मखरजि
बिस्मिल्लाहि वलजना व बिस्मिल्लाहि खरजना व अलल्लाहि रब्बना तवक्कलना


📖 Hindi Anuvaad (हिंदी अनुवाद):

“ऐ अल्लाह! मैं तुझसे घर में ख़ैर (भलाई) के साथ दाख़िल होने और ख़ैर के साथ बाहर निकलने की दुआ करता हूँ।
अल्लाह के नाम से हम दाख़िल हुए, और अल्लाह के नाम से ही बाहर निकले, और हमने अपने रब पर ही तवक्कुल (भरोसा) किया।”


📚 इस दुआ का मतलब, सन्दर्भ और पसमंज़र:

🔹 टुकड़ा📝 मतलब और तफ्सीर
خَيْرَ الْمَوْلِجِ (ख़ैरल मौलिज़)घर में दाख़िल होने की भलाई और सुकून
خَيْرَ الْمَخْرَجِ (ख़ैरल मखरज)बाज़ार से सही-सलामत और बरकत वाली वापसी
بِسْمِ اللّٰهِ وَلَجْنَا“अल्लाह के नाम से हम दाख़िल हुए” — घर में दाख़िला इज़्ज़त और रहमत के साथ
بِسْمِ اللّٰهِ خَرَجْنَا“अल्लाह के नाम से निकले” — सफर की हिफाज़त के साथ शुरुआत
وَعَلَى اللّٰهِ رَبِّنَا تَوَكَّلْنَا“हमने अपने रब पर तवक्कुल (भरोसा) किया”हर काम में अल्लाह पर निर्भरता का इज़हार

🌺 इस दुआ की फ़ज़ीलत और अहमियत:

🔖 “Bazaar se wapas aate waqt इस दुआ को पढ़ने से हमें मिलती हैं कई रूहानी फज़ीलतें:

🔸 बरकत की तलब (طلب برکت):
➤ घर में दाख़िल होते वक़्त अल्लाह से बरकत की दुआ माँगना।

🔸 शुक्र का इज़हार (اظهار شکر):
➤ बाज़ार से सही-सलामत लौटने पर अल्लाह का शुक्र अदा करना।

🔸 तवक्कुल की ताकीद (تأكيد التوكل):
➤ अल्लाह पर पूरा भरोसा जताना, जो हर मुसलमान की बुनियादी पहचान है।

🔸 दुनियावी असरात से हिफाज़त:
➤ बाज़ार में लगने वाले ग़फ़लत और फितनों से महफूज़ रहने की दुआ।

🔸 सुन्‍नत की रूह के मुताबिक़ अमल:
➤ अल्लाह का ज़िक्र हर रोज़ के कामों में शामिल कर के सुन्‍नत के नक़्शे क़दम पर चलना


🌸 Shortcut Table: याद रखने में आसान बनाएँ

क्र.दरूद का हिस्सामतलब (सरल शब्दों में)
1️⃣अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका…ऐ अल्लाह! भलाई के साथ दाख़िला और निकलना अता फ़रमा
2️⃣बिस्मिल्लाहि वलजनाअल्लाह के नाम से घर में दाख़िल
3️⃣बिस्मिल्लाहि खरजनाअल्लाह के नाम से बाहर निकले
4️⃣वअलल्लाहि रब्बना तवक्कलनाहमने अपने रब पर भरोसा किया

🤲 दिल से निकली एक दुआ…

💬 “या अल्लाह! हमारे हर सफ़र को खैर वाला बना दे, बाज़ार की ग़फ़लतों से हमारी हिफ़ाज़त फ़रमा और जब हम घर वापस लौटें, तो घर में सुकून, बरकत और रहमत नाज़िल कर।”
آمین یا رب العالمین 🤲


🔚 आख़िरी अल्फ़ाज़ (Conclusion): बाज़ार से वापस आने का दरूद शरीफ़

📌 इस्लाम एक ऐसा दीन है जो ज़िंदगी के हर लम्हे को इबादत में बदलने का तरीका सिखाता है।
💡 सिर्फ़ एक छोटी सी दुआ से आपका घर लौटना भी बन सकता है बरकतों भरा अमल
📺 चाहे वो टीवी देखना हो या बाजार से वापसी — हर काम में अल्लाह का नाम लें, और उस काम को नेक बनाएं।


📥 इसे याद रखें, शेयर करें, और अमल में लाएं… 🌟

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