روحانی سکون کے لیے ایک خاص تحفہ
🌌 रात का समय एक ख़ास सुकून लेकर आता है — जब दुनिया शांत हो जाती है और दिल तअल्लुक़ की तरफ़ मुड़ता है। ऐसे वक़्त में क़ुरआन की तिलावत न सिर्फ़ एक इबादत होती है बल्कि रूह की ताज़गी बन जाती है।
💭 लेकिन अगर इस मुबारक अमल को एक ख़ास दुरूद शरीफ़ से और ज़्यादा बबरकत बना दिया जाए? आइए जानें…
🕌 रात के वक़्त क़ुरआन पढ़ने का ख़ास दुरूद शरीफ़ ✨
🌟 भाषा | 📜 दुरूद शरीफ़ |
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Arabic (العربية) | اللَّهُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ وَبَارِكْ عَلَى سَيِّدِنَا وَمَوْلَانَا مُحَمَّدٍ، الَّذِي أُنْزِلَ عَلَيْهِ الْقُرْآنُ فِي اللَّيْلِ، وَعَلَى آلِهِ وَصَحْبِهِ وَبَارِكْ وَسَلِّمْ تَسْلِيمًا كَثِيرًا. |
Hindi (हिन्दी) | अल्लाहुम्मा सल्ली व सल्लिम व बारिक अला सय्यिदिना व मौलाना मुहम्मद, अल्लज़ी उनज़िला अलयहिल कुरआनु फ़िल लैलि, व अला आलिही व सहबिही व बारिक व सल्लिम तस्लीमन कसीरा |
Hinglish | Allahumma Salli wa Sallim wa Baarik ‘ala Sayyidina wa Mawlana Muhammad, Allazi Unzila ‘alayhil Qur’anu fil Layli, wa ‘ala Aalihi wa Sahbihi wa Baarik wa Sallim Tasleeman Kaseera |
📖 हिंदी अनुवाद (Translation)
🔸 “ऐ अल्लाह! हमारे सरदार और मालिक हज़रत मुहम्मद ﷺ पर रहमतें, सलाम और बरकतें नाज़िल फ़रमा, जिन पर रात के समय क़ुरआन उतारा गया। और उनके परिवार और सहाबा पर भी बहुत ज़्यादा सलामती और बरकतें नाज़िल फ़रमा।”
🌟 इस दुरूद शरीफ़ का मतलब, मक़सद और अहमियत ✨
📌 “Allazi Unzila ‘alayhil Qur’anu fil Layli” — “जिन पर रात के वक़्त क़ुरआन नाज़िल किया गया…”
🌙 यह अल्फ़ाज़ हमें शब-ए-क़द्र की याद दिलाते हैं — वो मुबारक़ रात जब क़ुरआन मजीद का नुज़ूल शुरू हुआ।
📌 यह दुरूद शरीफ़:
- ❤️ रहमत का दरवाज़ा खोलता है
- 💡 क़ुरआन की तिलावत को ज़्यादा रूहानी बनाता है
- 🌹 हज़रत मुहम्मद ﷺ की शान में इज़ाफ़ा करता है
- 🧎♂️ दुआओं की क़ुबूलियत का ज़रिया बनता है
- 🌃 रात की इबादत को बर्बकत बनाता है
🧾 इस दुरूद शरीफ़ के फ़ज़ाइल (Virtues)
🌸 फ़ज़ीलत | 📋 विवरण |
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✅ बेरंग रातों में बरकतें | क़ुरआन की तिलावत के साथ दुरूद पढ़ने से बरकतें दुगुनी होती हैं। |
✅ नूरानी तअल्लुक़ | रसूल ﷺ के ज़रिये अल्लाह से तअल्लुक़ मज़बूत होता है। |
✅ दुआओं की क़ुबूलियत | “हर दुआ पर पर्दा होता है जब तक उस पर दुरूद न पढ़ा जाए।” (तबरानी) |
✅ क़ुरबत-ए-नबवी ﷺ | जितना ज़्यादा दुरूद, उतना क़रीब रसूल ﷺ से तअल्लुक़। |
✅ रातों में ज़्यादा सवाब | रात की तिलावत + दुरूद = बेहिसाब सवाब |
🌙 रात के वक्त क़ुरआन के साथ दुरूद शरीफ़ क्यों पढ़ें?
📿 क्योंकि…
- 💖 यह तिलावत को नूरानी बना देता है
- 🕊️ यह दिल को सुकून देता है
- 🙏 यह अल्लाह की रहमतों को बरसाने का ज़रिया है
- 🧠 यह इन्सान की सोच और नियत को पाक करता है
💖 एक दिल से निकली दुआ 🤲
जब रात का सुकून आपके कमरे में उतरता है, और आप क़ुरआन की आयतों में खो जाते हैं, तब इस दुरूद शरीफ़ को ज़रूर पढ़ें।
✨ “اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ الَّذِي أُنْزِلَ عَلَيْهِ الْقُرْآنُ فِي اللَّيْلِ…”
🕯️ यह दुरूद शरीफ़ आपके रूहानी सफर में नूर का दिया बन जाए…
🕌 आपकी तिलावतें क़ुबूल हों,
📖 आपकी दुआएँ असरदार बनें,
🌌 और आपकी रातें बरकतों से भरी हों।
🌠 आख़िरी अल्फ़ाज़:
💬 रात को क़ुरआन पढ़ते वक़्त इस दुरूद को अपना साथी बना लीजिए।
🌿 यह आपकी तिलावत में मिठास, दुआ में असर, और दिल में सुकून भर देगा।
🤲 “या रब्ब! हमारी रातों को क़ुरआन के नूर और रसूल ﷺ की रहमतों से रौशन कर दे।”